मंगलवार 14 जनवरी 2025 - 11:46
इमाम अली (अ) का काबा में जन्म: एक संवाद

हौज़ा / इमाम अली (अ.स.) का काबा में जन्म न केवल उनकी विशेषता को दर्शाता है, बल्कि यह इस्लाम के इतिहास में एक अद्वितीय और दिव्य घटना है। यह इस बात को सिद्ध करता है कि इमाम अली (अ.स.) का जन्म एक दिव्य रहमत का परिणाम था और उन्हें विशेष सम्मान प्राप्त था।

लेखकः सैयद साजिद हुसैन रज़वी मोहम्मद 

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इमाम अली (अ.स.) का काबा में जन्म इस्लामी इतिहास का एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प विषय है, जिस पर शिया और सुन्नी उलमा के बीच अनेक बहसें और संवाद हो चुके हैं। यह विषय खास तौर पर अल-गदीर नामक किताब के छठे खंड में आयतुल्ला अमीनी द्वारा विस्तार से बताया गया है, जहाँ उन्होंने इस बात को 16 काबिल एतबार सुन्नी किताबों से उद्धृत किया है, जो इमाम अली (अ.स.) की खासियत और उनके जन्म के सम्मान को दर्शाती है।
हाकिम ने अपनी किताब मुसतद्रक में इस घटना को मुतवातिर हदीस (जिसे बार-बार विभिन्न रिवायतों में तसदीक किया गया हो) कहा है, और इसे पूरी तरह से सही ठहराया है। अब इस संवाद को ध्यान से पढ़े, जो एक शिया और एक सुन्नी विद्वान के बीच हुआ:

सुन्नी विद्वान: इतिहास में यह भी लिखा है कि हकीम बिन हेज़ाम भी काबा में जन्मे थे।
शिया विद्वान: यह बात ऐतिहासिक रूप से साबित नहीं है। बड़े सुन्नी विद्वान जैसे इब्न-सबाग मालिकी, कंजी शाफ़ई और शिबलंजी कहते हैं कि "इमाम अली (अ.स.) से पहले काबा में कोई नहीं पैदा हुआ है।" हकीम बिन हेज़ाम, इमाम अली (अ.स.) से बड़े थे, तो यह बात केवल शत्रुओं की चालाकियों का हिस्सा है, जिन्होंने इमाम अली (अ.स.) की काबा में पैदाइश की खासियत को नकारने के लिए यह झूठ फैलाया।

सुन्नी विद्वान: काबा में पैदा होने से क्या फर्क पड़ता है? क्या वह कोई खास बात है?
शिया विद्वान: जब कोई इंसान किसी पवित्र स्थान पर पैदा होता है, तो यह अलग बात होती है। यदि किसी विशेष रूप से और ख़ुदाई  रहमत से इमाम अली (अ.स.) को काबा जैसे पवित्र स्थान पर जन्म दिया गया है, तो यह उस शख्स की महानता और शुद्धता को दर्शाता है। इमाम अली (अ.स.) की काबा में पैदाइश उसी विशेष कृपा और आशीर्वाद का परिणाम थी, और यह उनकी महानता को सिद्ध करता है।

सुन्नी विद्वान: जब इमाम अली (अ.स.) का जन्म हुआ था, उस वक्त काबा में बुतपरस्ती का प्रचलन था। क्या यह जन्म महत्वपूर्ण होगा?
शिया विद्वान: काबा, जो पहले से ही पूरी धरती पर सबसे पवित्र स्थान था, कुछ समय के लिए बुतों की पूजा का स्थान बन गया था, लेकिन फिर भी उसकी पवित्रता में कोई कमी नहीं आई। जब काबा का इतना महान और पवित्र स्थान है, तो यह हमारी नज़रों में उसकी महानता में कोई कमी नहीं लाता। और जैसे कि इमाम अली (अ.स.) की माता, फातिमा बिंत असद (अ.स .), का काबा में प्रवेश करना और वहां इमाम अली (अ.स.) का जन्म होना ख़ुदाई कृपा और अद्भुत करामात का प्रतीक है।

शिया विद्वान ने कहा, "अगर आप इस बात को नहीं समझ सकते, तो इस चर्चा को यहीं खत्म करते हैं।"
इमाम अली (अ.स.) का काबा में जन्म न केवल उनकी विशेषता को दर्शाता है, बल्कि यह इस्लाम के इतिहास में एक अद्वितीय और दिव्य घटना है। यह इस बात को सिद्ध करता है कि इमाम अली (अ.स.) का जन्म एक दिव्य रहमत का परिणाम था और उन्हें विशेष सम्मान प्राप्त था। इस घटना को लेकर पहले ही समय में शायरों ने इस पर काव्य रचनाएँ की थीं, जो इमाम अली (अ.स.) की महानता की गवाही देती हैं।

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